लैपटॉप टैबलेट इंपोर्ट के 110 आवेदनों को सरकार ने दी मंजूरी, आवेदकों में सभी दिग्गज हार्डवेयर कंपनियां हैं शामिल
Importer has to disclose only number and value
सरकार ने लैपटॉप, कम्प्यूटर और दूसरे आईटी हार्डवेयर के इंपोर्ट करने वाले 111 में से 110 आवेदनों को मंजूरी दे दी है. इन आईटी प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट करने के लिए सरकार को 111 अप्लीकेशन सरकार को मिले थे. पिछले महीने सरकार ने लैपटॉप और कम्प्यूटर्स के इंपोर्ट पर रोक वाले नियमों में बदलाव करने का ऐलान किया था. जिसके बाद इंपोर्टर केवल ऑथराइजेशन के आधार पर विदेशों से इंपोर्ट करने की इजाजत दी गई है.
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नए इंपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए सरकार का मकसद लैपटॉप, टैबलेट्स और कम्प्यूटर्स के देश में इंपोर्ट को मॉनिटरिंग करना है. सरकार का साफ कहना है कि वो इन प्रोडेक्ट्स की सप्लाई में बाधा नहीं खड़ा करना चाहती है साथ लाइसेंस राज भी स्थापित करने का उसका कोई मकसद नहीं है.
जिन कंपनियों को इंपोर्ट करने की मंजूरी मिली है उसमें डेल इंटरनेशनल सर्विसेज इंडिया, अप्पल इंडिया, एचपी इंडिया सेल्स प्राइवेट लिमिटेज, लीनोवो इंडिया, आसुस इंडिया, आईबीएम इंडिया, सैमसंग इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स, शाओमी टेक्नोलॉजी इंडिया, सिस्को कॉमर्स इंडिया, सीमेंस लिमिटेड, और बॉश लिमिटेड शामिल है.
सरकार को इन आईटी प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट के लिए अबतक 111 आवेदन मिले थे. पिछले महीने ही लैपटॉप और पर्सनल कंप्यूटर के आयात पर लगी पाबंदियों में बदलाव किया गया था. सभी प्रमुख आईटी हार्डवेयर कंपनियां पहले ही मंजूरी ले चुकी हैं. सभी आवेदनों को निर्धारित समय के भीतर निपटाया जा रहा है और अब कोई आवेदन लंबित नहीं है.
दरअसल पहले सरकार ने लैपटॉप, पर्सनल कम्प्यूटर, टैबलेट के इंपोर्ट पर रोक लगाने का फैसला किया था. सरकार का तर्क था कि वो घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहती है. लेकिन हार्डवेयर कंपनियों ने सरकार के इस फैसले का भारी विरोध किया. तो देश में सप्लाई में दिक्कतें पैदा हो गई जिसके बाद सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ा.